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खामोशी - एक कविता। Silence - A Poem

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  खामोशी   क्या सोच सोचाथा मैं ऐसे होगा  कुछ ना करके दिन कटेगा?  रह पाऊंगा घर में मतदानके समय में! चारों ओर शोर  पर दिल में नहीं,  हर कोई कर रहा है काम  पर मैं नहीं। इच्छा तो है पर चाहत नहीं था  क्योंकि गलती से भरा है मतदान प्रक्रिया, ना सरकार, ना कमिशन  कोई नहीं चाहता  निर्भय होकर मतदान करें हर मतदाता। मतदान से अब मेरा उठ गया है भरोसा  अभी कुछभी नहीं है पहले जैसा, ना नेता, ना नीति  भयानक दलदल बन गया है ए राजनीति।  इसलिए ना चाहते भी में खुशहु  ए खामोशी तुझे में सलाम करता हूं। पढ़िए अगला कविता  पढ़िए पिछला कविता (नींद)

নিয়ম - একটি কবিতা। Rule - A Poem

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  নিয়ম নিয়মের বেড়াজালে মানুষ আজ আবদ্ধ  কিন্তু সকলেই জানে,  বর্তমানের নিয়মে ন্যায় আজ রুদ্ধ!  লোক দেখানো, লোক ঠকানো  কিন্তু কেনো, কেনো?  টাকা! কত টাকা চাই, বাঁচার জন্য! মানবতা ছাড়া, মানুষ হওয়া যায় না  শিক্ষা ছাড়া পরিবার, সমাজ, ও দেশ এগোতে পারে না, কিন্তু টাকার লোভ পেয়ে বসলে  মানবতা ও শিক্ষার কোন গুরুত্ব থাকে না!  উচ্চাকাঙ্ক্ষা থাকা ভালো,  কিন্তু, সঠিক নিয়মের পথে চলে  অন্য পথ নিলে পরে...  শেষ পরিণতি কি হবে  এ কথা সকলেই জানে! আর নয়, অনেক হলো  এবার তো অন্যায়ের বিরুদ্ধে গর্জে ওঠো!  মানবতাই হবে সঠিক পথ,  শিক্ষায় হবে একমাত্র উপায়,  যারাই এই দুটিকে উপেক্ষা করবে  তাদের বলো, আর নয় আর নয়! পড়ুন পরবর্তী কবিতা  পড়ুন পূর্ববর্তী কবিতা (পলিসি)

Childhood Lost - A Short Story

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  Childhood Lost              "Play all day" - that was the life of Kakoli when she was a mere child. Kakoli lived in the village Shyamapur with her parents. It was a remote village. Except the ration dealer, none of the village had a pucca house. The villagers were decreased into poverty. Like all other children of the village, Kakoli's childhood was very happy. She used to play all day long. No work only play - that was her life. She was a sweet-looking child. Everyone of her village, even the ration dealer, liked her for her sweet appearance and too sweet voice. Whenever she saw an elder, she would run towards them and start talking. How much busy they might be, villagers preferred to talk to her.              Days passed. Kakoli was admitted to a distant school. Then she felt their poverty. A few children use to go to school in good dresses, but Kakoli and her friends wore mediocre dresses - not noticeable,...

दर्दनाक दर्द - एक शायरी। Extreme Pain - A Shayari

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  हूं तैयार में सहने हर दर्द  नहीं चाहिए अब मुझे किसी के मदद, हूं तैयार में सहने हर दर्द  नहीं चाहिए अब मुझे किसी के मदद, यह मेरा खुद का इम्तिहान है  हर हाल में मुझे खड़ा उतरना है। पढ़िए अगला शायरी  पढ़िए पिछला शायरी 

Endurance - A Poem

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  Endurance   You can't live with rascals  But you have to live,  The world is very tough  So, you have to keep patience.  It will boost your endurance  One cannot exist with the other;  And without them  No man can be greater,  So, try to imbibe them together.   Life is not smooth path, It should not be.  Then how can we know,  What we can be?  We have to endure patiently  All that will come in our way,  Then we can learn slowly  What is the correct way!   Problem comes to try us Whether we are fit for anything,  We have to keep endurance  To prove that  We deserve everything! Read Next Poem (Ignorance) Read Previous Poem(Self Help)

नींद - एक कविता। Sleep - A Poem

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  नींद   हर कोई है इससे परेशान  इससे प्रभावित है हर एक इंसान, आता है यह सब के पास  किसी को मिलता है चैन  कोई करता है अफसोस! बात ही है इसका अलग  इसके बिन काम नहीं करता किसीका दिमाग, अगर जीना है तो यह चाहिए  इसके बिन जिंदगी नरक बन जाता है।  24 घंटा में एक बार मुलाकात जरूरी  वरना घिरेगा एक से बढ़कर एक बीमारी,  दौड़ना पड़ेगा डॉक्टर के पास  डॉक्टर भी करेगा एइसा इलाज़,  निकल जाएगा सारा दौलत  खराब हो जाएगा हालत।  यह देखकर नींद आएगा  पूछेगा तब,  क्यों दौलत कम नहीं आया? मुझे छोड़ा दौलत कमाने, दौलत खोया मुझे पाने!  अब बताओ क्यों जी रहे हो  मुझे या दौलत से प्यार करते हो। पढ़िए अगला कविता (खामोशी) पढ़िए पिछला कविता (रास्ता)

পলিসি - একটি কবিতা। Policy - A Poem

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  পলিসি এ কথা তো সবাই বলে, ভবিষ্যতের কথা ভেবে ভয় পেলে  বর্তমান কিভাবে উপভোগ করবে?  কথাটি সত্য, কিন্তু কতজন মানে?  মানলে পরে  সকলে জীবন বীমা পলিসি কেন করে?  পলিশি বেশিরভাগ মানুষ ভয়ে নেয়  না জানি কখন কি হয়!  আমার পরে পরিবার ভালো থাকবে,  বলেছি কোম্পানিগুলো একেই অস্ত্র করে! সকলেই বলি, যত ঝুঁকি তত লাভ,  কষ্ট ছাড়া কেষ্ট মেলে না,  কিন্তু কাজ করার সময়  আদর্শবানী কোথায় যেন হারিয়ে যায়!  একবার খোঁজ নিয়ে দেখো,  বিলগেটস্, স্টিভ জবস্, টাটা কিংবা আম্বানি  তারা কি নিয়েছে একটিও পলিসি!  তারা শুধু জানে না, মানেও  নেয় জীবনের ঝুঁকি  তাই তো আজ সকলে সফল ব্যবসায়ী! পড়ুন পরবর্তী কবিতা (নিয়ম) পড়ুন পূর্ববর্তী কবিতা (কোভিড-19 ও শিক্ষা)