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बदलते दिन - एक कविता। Changing Time - A Poem

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  बदलते दिन  अब मुझे लगराहा है  अच्छे वक्त आने वाला है  जिसका मैंने सिर्फ सपना देखा  पर हासिल करने का कोई रास्ता ना था।  मेरा सपनों का दिन आने वाला है   बस मुझे अच्छे से तैयारी करना है। देखा था मैंने सपना  एक खुशहाल जिंदगी का,  जहां गम नाम का कोई चीज ना हो  मैं बनू अपना बादशाह,  मिलने का कोई रास्ता ना था,  पर विश्वास मुझे था  एक दिन सपना जरूर पूरा होगा। हालात कभी अच्छा हुआ नहीं  तकलीफे पीछा छोड़ नहीं  मैं भी था जीद्दी  कोशिश करना कभी छोड़ा नहीं।  अभी मुझे लगता है,  बुरा समय जाने वाला है  मेरा सपना पूरा होने वाला है।   तलाश मैंने कितना किया, सिर्फ मैं जानू  वह सपनोंका राहको आज मुझे लगता है  मुझे मिलगए वह। पढ़िए अगला कविता  (समय) पढ़िए पिछला कविता (क्या खुदा है)

সাইকেল - একটি কবিতা। Cycle - A Poem

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  সাইকেল ক্রিং, ক্রিং, ক্রিং দাদা, একটু রাস্তা দেবেন  ওই গণেশ, কোথায় গেছিলে?  এই যে, একটু বাজারে!  কিন্তু কিভাবে!  ভেবে দেখেছেন  না....  কারণ, আমরা সবাই জানি  শীত, গ্রীষ্ম, বর্ষা  সকাল, বিকেল বা সন্ধ্যা, দুপুর  সকলের ভরসা সাইকেল-এর উপর! সব সময়ের সাথি  সব কাজেতেই কাজি,  দেয়না ফাঁকি, দেয়না ফাঁকি  যখনই বলবে তখনই রাজি,  একদম ঠিক ভেবেছেন  সাইকেল আমাদের জীবনের সাথী! মাঝে মাঝে বিপদ আসে  টায়ারে পাংচার,  বেল বাজছে না, চেন পরেছে  কিন্তু তা খুবই বিরল  কপাল মন্দ থাকলে, কে আর বাঁচে! পড়ুন পরবর্তী কবিতা (পুচকে সোনা) পড়ুন পূর্ববর্তী কবিতা (অন্যভাবে)

शेयर बाजार रिस्की है - एक शायरी। Share Market Is Risky - A Shayeri

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  शेयर बाजार रिस्की है अब जमेगा खेल  खेलूंगा मैं मनी गेम, अब जमेगा खेल खेलूंगा मैं मनी गेम, कल भी होगा, पुट भी होगा  मौकाम पर मैं जरूर पहुंचूंगा। पढ़िए अगला शायरी  पढ़िए पिछला शायरी

A Waste Life - A Short Story

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  A Waste Life                  "Amma, I want to go to another state to earn much." Jakira still remembered that and wished that had she not given her consent. Jakira was a middle aged widow woman, a mother of three children. Jamal was her elder son, Madhuli - a daughter and Namaz, the youngest son. Her husband died when she was to give birth to her third child. Jamir was her husband. He died of mulnutrition. His death was a bolt from the blue for her. So, after two days of her childbirth, Shakira had to start working as a labourer to feed her children.           Jakira was then just 25. The name of her village was Adharkhana. As the name so was the condition of the villagers. Their destiny was in dark. No education came there, the roads were muddy. The mud-huts suggested that the government left them in the hand of destiny which was too cruel. The village seemed to be labour-factory. After attaining the age of fifteen, the boys joined the labour-force and the girls were mar

Rain - A Poem

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  Rain   All waited for you, so long  Appealed to God for you to come!  To get relief from this atmosphere  Which is too warm.  You came,  But for a brief time,  It was not our expectation,  You just increased the frustration!   But there is one relief,  You left your companion, the wind  Which with its valour  Continuously fighting with warm atmosphere . The warmth has lost it's intensity We hail you,  For bringing cold wind with thee! You remained for a short period  But gave the relief as appealed!  Though late you came - not expected  You did your work, as expected! Read Next Poem (Rabindranath Tagore) Read Previous Poem (Justice For R.G.Kar)

क्या खुदा है - एक कविता। Is There God

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 क्या खुदा है   हर वक्त में पूछता हूं मुझे,  क्या खुदा है?  ढूंढता हूं मैं इसका जवाब  दिल और दिमाग से,  दिल कहता है खुदा है  दिमाग कहता है नहीं,  पर असली जवाब क्या है  अभी तक मुझे मिला नहीं ! कहता है कर भला तो होगा भला,  काम करते जाओ, फल जरुर मिलेगा। ऊपर खुदा है, वह सब देखता है।  पर मुझे लगता नहीं!  चारों ओर अफरा-तफरी,  घर में भी कोई चैन नहीं,  कैसे यकीन अब करु में  अब लगता है मुझे,  खुद नाम का कोई चीज ही नहीं। कोशिश किया था हर वक्त अच्छा करने का  अगर खुदा है,  तो वह क्या नहीं देखा था? आज मेरा हाल ऐसा है  जो मैं कभी सोचा नहीं था,  इसलिए आज मेरा सवाल,  क्या खुदा है? पढ़िए अगला कविता (बदलते दिन) पढ़िए पिछला कविता (इंतेकाम)

অন্যভাবে - একটি কবিতা। Differently - A Poem

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 অন্যভাবে অনেকদিন পর আবার  বেরিয়ে এলাম আমি,  তবে কি আবার শুরু হলো  আমার ঘুরাঘুরি!  সাত সকালে উঠতে গিয়ে  উঠলাম আমি সাতটাই,  বললাম আমি নিজেকে  দেরী হলো তো তাতে কি!  যা একটু ঘুরে আয়!  ফেরার সময় দেখা হলো  এক মামার সাথে,  সে আমায় বলল কিছু  একমত আমি তার সাথে!  কথাটা খারাপ নয়  কিন্তু, সবাই এক নয়! যাইহোক, সকালটা আজ নতুনভাবে কাটলো  আবার, জীবনে নতুন মোর এলো! পড়ুন পরবর্তী কবিতা (সাইকেল) পড়ুন পূর্ববর্তী কবিতা (মহাপ্রলয়)