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A Thought - A Short Story

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A Thought  "I will die". Karim always muttered it. Nothing happened, but he did not feel well. Then suddenly he muttered "I will die". Karim also felt astonished. What was the matter? He often asked himself but found no answer. Korim was a man of 30 years. He lived in Maharajpur village, not well-developed but also not least developed. He lived with his parents, a sister and a grandmother. They were happy.                  There was no economic crisis or food shortage in Karim's family. They belonged to middle class. After his college education, Karim got a government job in an office. Everything was fine. Life became easy, but one day Karim's g kmrandmother felt uneasy and  was transferred to the city hospital. She was diagnosed a problem in her heart. Doctors suggested an operation and told them to take her to a nursing home, because they did not have the facility.  But Korim had to bring her home due to lack of money. That d...

सफलता महनत से- एक शायरी। Success with Work - A Shayeri

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सफलता महनत से  हर दिन एक नया सबक  मिलता है उन लोगों को, हर दिन एक नया सबक  मिलता है उन लोगों को,  जो लगन और मेहनत से  चाहता है बदलना अपने नसीब को। पढ़िये अगला शायरी  पढ़िये पिछला शायरी 

सवाल - एक कविता। Question - A Poem

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 सवाल  क्या खुदा है ? अच्छे और बुरे कर्म का फैसला  वह क्या सचमुच करता है? बुरे कर्म का नतीजा कौन भुक्ता है ? करने वाले या सहने वाले? अच्छे काम का फल क्या होता है ? दुनिया कौन चलाता है? चारों ओर लटमारी  दुर्बल जिए तो कैसे? कौन देगा उन्हें सजा? क्या सजा हो सकता है इन सब का?  आखिर विश्व का क्या होगा? मैं कौन सा राह चुनु,  अच्छा या बुरा?  अभी तो बुराई अच्छा कहलाता है।  पैसे को दम पर।  तो वुरा काम और अच्छे काम में  क्या कोई अंतर नहीं है? और कितना दिन,  हमें सहना पड़ेगा?  अब सहन नहीं होता। कैसे करूं खुदापर भरोसा?  अभी तो अच्छे इंसान का,  कोई कदर नहीं, और बुरा काम करने वालों का  अच्छे से कट रहा है जिंदगी! एइसे बहुत सवाल  आज हर किसी के मन में है पूछु तो किस से, जवाब देगा कौन? पढ़िए अगला कविता (अच्छा हुआ) पढ़िए पिछला कविता(तलाश)

রাগ - একটি কবিতা। Anger - A Poem

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 রাগ রাগ শব্দটি সকলেই জানে  কিন্তু, রাগী মানুষকে কি কেউ চেনে? আমি চিনি!  একটা অদ্ভুত প্রাণী আছে  সে যেমন রেগে যায়,  তেমনি আবার আমায় ভালবাসে!  এবার সে আবার গেছে রেগে  বলে..  আমি নাকি থাকি না তার কাছে!  পাগল কোথাকার, না পাগলি  বোঝেনা সে ...  যেখানেই আমি থাকি  মন তো আমার থাকে তারই কাছে!  তার সাথে কথা না বললে  ভালো লাগে না।  সব সময় ভাবি  সে কি করছে, না করছে।  দূরে থাকলে কি হবে?  আমি তো থাকি তারই কাছে! একটু মাথা মোটা, বোঝেনা  কিন্তু, সে যে আমায় খুব ভালোবাসে! পড়ুন পরবর্তী কবিতা (প্রথম খাওয়া) পড়ুন পূর্ববর্তী কবিতা (আবার শুরু)

The Garden Guard - A Short Story

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The Garden Guard      "Mohan uncle, what are you doing now?", asked Nandalal when he met him after a long time.  Mohan was the guard of a fruit garden of zamindar Mishra Seth. The fruit garden was the favorite of the local children. They used to sneak into the garden to get some fruits to eat. The locality was composed of middle- class people, mostly laborers. Mohan stood guard all the time. He used to sleep in the garden - both day and night. He did not have a family as the people knew because they never saw or heard of his family. Besides, Mohan would eat at the Zamindar's house and slept in the garden. So, people took that Mohan did not have any family. The zamindar had many gardens, many acres of agricultural land and other lands also. Like all zamindar, he disliked the local poor people and their children. Mohan only guarded the fruit garden that was in the locality of Nandlal, a village boy.            ...

मेहनत से शिख - एक शायरी| Learning from Effort - A Shayeri

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मेहनत से शिख  हर दिन एक नया सबक  मिलता है उन लोगों को , जो लगन और मेहनत से  चाहता है बदलना अपने नसीब को| पढ़िए अगले शायरी पढ़िए पिछले शायरी

तलाश - एक कविता | Search - A Poem

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तलाश  दिल चाहता है कुछ बड़ा करु,  कुछ ऐसा,  जो मुझे इतना खुशी दे,  जिसके आगे काम पर जाए  पिछले सब साल गाम का! तलाश जारी है मेरा,  कभी ना कभी तो जरूर मिलेगा  बह राह,  जो ले जाएगा मुझे वह मंजिल तक  जिसके लिए मैं भटक रहा हूं अब तक ! इतिहास गवाह है,  ढूंढने से मंजिल तो क्या  खुदा भी मिल जाता है।  एक दिन मुझे भी मिलेगा वह रास्ता,  मेरा भी बनेगा एक महल खुशियों का! यह विश्वास ही तो है  जो मुझे सहने का ताकत देता है,  कहता है मुझे,  किसी पर नहीं खुद पर विश्वास रख  जरूर मिलेगा तुझे हर सुख! परिये अगले कविता (सवाल) परिये पिछले कविता(सहनशक्ति) ---------------------------------***---------------------