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Showing posts with the label Hindi Poetry

नींद - एक कविता। Sleep - A Poem

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  नींद   हर कोई है इससे परेशान  इससे प्रभावित है हर एक इंसान, आता है यह सब के पास  किसी को मिलता है चैन  कोई करता है अफसोस! बात ही है इसका अलग  इसके बिन काम नहीं करता किसीका दिमाग, अगर जीना है तो यह चाहिए  इसके बिन जिंदगी नरक बन जाता है।  24 घंटा में एक बार मुलाकात जरूरी  वरना घिरेगा एक से बढ़कर एक बीमारी,  दौड़ना पड़ेगा डॉक्टर के पास  डॉक्टर भी करेगा एइसा इलाज़,  निकल जाएगा सारा दौलत  खराब हो जाएगा हालत।  यह देखकर नींद आएगा  पूछेगा तब,  क्यों दौलत कम नहीं आया? मुझे छोड़ा दौलत कमाने, दौलत खोया मुझे पाने!  अब बताओ क्यों जी रहे हो  मुझे या दौलत से प्यार करते हो। पढ़िए अगला कविता  पढ़िए पिछला कविता (रास्ता)

रास्ता - एक कविता।‌ Way - A Poem

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  रास्ता   रास्ता अब दिख रहा है मुझे  चलना सिर्फ बाकी है, जिंदगी का वह मकाम  हासिल करना सिर्फ बाकी है। है हौसला मेहनत करने का  बिन पहुंची मैं नहीं रुकूंगा। जितना भी आए कठिनाई  अब मुझे रुकना नहीं, रुकावट कैसा भी हो  कोई फर्क नहीं ,  बादा है यह खुदसे मौकाम पहुंचे बिना मैं रुकूंगा नहीं।   ढूंडा बहुत, कितना मटका  अब जाकर मुझे रास्ता मिला,  चलना है मुझे सोच समझ कर  साथ-साथ धीरज रखना है,  तभी चल सकूंगा अच्छे तराहसे  पहुंच सकूंगा अपनी मौकाम पर। कहते हैं मेहनत बिना कुछ नहीं मिलता  अब समझ में आया  इस रास्ते के लिए मैं कितना भटका,  जवाब नहीं था, पर विश्वास था  उसका ही फल मुझे आज मिला।  अब सिर्फ चलना है मुझे  मेरे मुकाम पर पहुंचना है मुझे। पड़िए अगला कविता (नींद) पड़िए पिछला कविता (शिक्षण)

शिक्षण - एक कविता। Learning - A Poem

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  शिक्षण हर दिन कुछ नया मिलेगा  जीवन खुशियों से भरेगा,  रास्ता होगा फूलों से भरा  जिसमें था कांटा फैला।  बदलेगा हर चाल चलन  सिर्फ जारी रखना है शिक्षण। खुद से बड़ा कोई अपना नहीं  ज्ञान से बड़ा कोई धन नहीं, तो खुद से प्यार कर  खुद को बेहतर बनाने का काम कर अच्छा इंसान धरती में अब नहीं है  समय खराब हो तो  हर कोई बादल जाता है।   समय आने से सब छूटेगा  जानेके समय तुझे कुछ नहीं मिलेगा, सिर्फ इतना दिन जो सीखेहो  वह शिक्षण तुम्हें नहीं छोड़ेगा,  तो ए कमाओ वह क्यों  खुद को बेहतर बानाअ, रुकना क्यों?   हर दिन कुछ सीखो  यह थोड़ा-थोड़ा ज्ञान  एक दिन तुम्हें बनाएगा महान! पढ़िए अगला कविता (रास्ता) पढ़िए पिछला कविता (समय)

समय - एक कविता। Time - A Poem

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  समय   सब कहता है  समय अगर निकल गया  तो लौटके आता नहीं,  समय रहते अगर कुछ किया नहीं  तो जिंदगी में आगे बढ़ोगे नहीं। पर मेरा मानना है  समय लौट आता है उन लोगों के  जिसमें है क्षमता सेहनेका।  और जेसवा कुछ करने का।   जो आज अच्छा नहीं  वह आगे बदलेगा,  पुराना दिन फिर लौट आएगा  यही तो है इस समयका चक्र  पर सबके लिए नहीं!  ज्यादातर तो आज में जीते हैं  वह तो कुछ होता है  जो आगे का सोचता है। समय के साथ नहीं  सामने चलना सीखो,  डरकर नहीं  खुलकर जीना सीखो। मिलेगा हर खुशी  जो बीत गया इया आया नहीं  सिर्फ मेहनत करते चलो  कभी रुकना नहीं। पढ़िए अगला कविता (शिक्षण) पढ़िए पिछला कविता (बदलते दिन)

बदलते दिन - एक कविता। Changing Time - A Poem

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  बदलते दिन  अब मुझे लगराहा है  अच्छे वक्त आने वाला है  जिसका मैंने सिर्फ सपना देखा  पर हासिल करने का कोई रास्ता ना था।  मेरा सपनों का दिन आने वाला है   बस मुझे अच्छे से तैयारी करना है। देखा था मैंने सपना  एक खुशहाल जिंदगी का,  जहां गम नाम का कोई चीज ना हो  मैं बनू अपना बादशाह,  मिलने का कोई रास्ता ना था,  पर विश्वास मुझे था  एक दिन सपना जरूर पूरा होगा। हालात कभी अच्छा हुआ नहीं  तकलीफे पीछा छोड़ नहीं  मैं भी था जीद्दी  कोशिश करना कभी छोड़ा नहीं।  अभी मुझे लगता है,  बुरा समय जाने वाला है  मेरा सपना पूरा होने वाला है।   तलाश मैंने कितना किया, सिर्फ मैं जानू  वह सपनोंका राहको आज मुझे लगता है  मुझे मिलगए वह। पढ़िए अगला कविता  (समय) पढ़िए पिछला कविता (क्या खुदा है)

क्या खुदा है - एक कविता। Is There God

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 क्या खुदा है   हर वक्त में पूछता हूं मुझे,  क्या खुदा है?  ढूंढता हूं मैं इसका जवाब  दिल और दिमाग से,  दिल कहता है खुदा है  दिमाग कहता है नहीं,  पर असली जवाब क्या है  अभी तक मुझे मिला नहीं ! कहता है कर भला तो होगा भला,  काम करते जाओ, फल जरुर मिलेगा। ऊपर खुदा है, वह सब देखता है।  पर मुझे लगता नहीं!  चारों ओर अफरा-तफरी,  घर में भी कोई चैन नहीं,  कैसे यकीन अब करु में  अब लगता है मुझे,  खुद नाम का कोई चीज ही नहीं। कोशिश किया था हर वक्त अच्छा करने का  अगर खुदा है,  तो वह क्या नहीं देखा था? आज मेरा हाल ऐसा है  जो मैं कभी सोचा नहीं था,  इसलिए आज मेरा सवाल,  क्या खुदा है? पढ़िए अगला कविता (बदलते दिन) पढ़िए पिछला कविता (इंतेकाम)

इंतेकाम - एक कविता। Revenge - A Poem

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  इंतेकाम   बोलो अब क्या करोगे  सोचो अब कहां भगोगे,  करलिए तुम बहुत जुल्म  अब हम इंतेकाम लेंगे! क्या सोचेथे  हम कुछ नहीं कर सकते?  जो मर्जी वह करोगे?  तुम सबका घरा भर गया है  अब हम इंतेकाम लेंगे! इंसान को इंसान ना समझे  लुटमारी, खून-खराबासे हमें डराते रहे!  अब कैसे डराओगे?  हम और नहीं डरेंगे,  क्योंकि हमें इंतकाम चाहिए!   क्या सोचे थे,  गुंडागिरी से राज करोगे? जो मर्जी वह करोगे? अब ना बचोगे तुम,  ना तुम्हारे गुंडे,  बहुत सहेलिए हम, और ना सहेंगे  क्योंकि, अब हमें इंतेक़ाम चाहिए। पढ़िए अगला कविता (क्या खुदा है) पढ़िए पिछला कविता (इंसाफ)

इंसाफ - एक कविता। Justice - A Poem

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 इंसाफ  चार और एक ही आवाज  चाहिए इंसाफ! चाहिए इंसाफ!  मुंह बंद करने का कोशिश भी जारी है  पर हम ना रुकेंगे, हम ना रुकेंगे ! घोर पाप का कठोर इंसाफ  चाहिए हम सबको,  पपियोका जमीन खिसक जाए  रहमका बात अब ना सुनो! इंसान के नाम पर वह शैतान है,  हैवानियत उनका काम,  सारा संसार बह नष्ट कर देगा  अब चाहिए इंतकाम! छोड़ेंगे नहीं अब किसीको  सजा देंगे हर पापीको,  भागनेका कोई रह ना होगा  अब इंसाफ होगा, अब इंसाफ होगा ! हर लूट का चीज छीन लूंगा  छुपाए हो जितना पैसा  खरीदे हो जितना मकान,  रास्ते पर थे, अब रास्ते पर ही पटकुंगा  अब हम लेंगे पापियों का जान। पढ़िए अगला कविता (इंतेकाम) पढ़िए पिछला कविता (सब अपराधी)

सब अपराधी - एक कविता। All Culprits- A Poem

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 सब अपराधी  एक नहीं सब मिलकर किया  अपराध नहीं घोर पाप किया,  ईश्वर को बेआव्रु किया  इंसानियत का धैर्य तोड़ दिया ! एक खुशहाल जिंदगी तबाह किया  एक सुंदर सपना तोड़ दिया  एक विकसित परिवार नष्ट किया  पाप नहीं घोर पाप किया! पाप करने वाले और बचाने वाली  सब है अपराधी, सब है अपराधी! कोई एक का नहीं अब चाहिए हमें  सबका फैंसी, सबका फैंसी! कर लिए वह जितना करना था  अब हमें और सहना नहीं,  उन सबका मौत अब हमें चाहिए  रोक ना सकेंगे अब हमें कोई! मिटाने के लिए अब हम है तैयार  रुकेंगे मिटाकर ही, छोड़ेंगे ना अब हाम किसीको  सब है अपराधी, सब है अपराधी। पढ़िए अगला कविता (इंसाफ) पढ़िए पिछला कविता

अच्छा हुआ - एक कविता। Good Happened - A Poem

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 अच्छा हुआ जिंदगी जैसे दलदल में फंसी है  इससे बाहर निकलु तो कैसे, कोई रास्ता दिख नहीं रहा है  जो है वह मुमकिन नहीं है। कभी ना सोचा था ऐसा होगा  समय इतना बुरा आएगा, अब सहन नहीं होता,  पर कोशिश कर रहा हूं, खुश रहने का। दिन गुजरते हैं कैसे  यह मैं सिर्फ जानू,  हाल कितना बुरा  बताऊं तो किस बताऊं? इंसान तो सिर्फ देखने में इंसान है,  इंसानियत क्या है, उसे मालूम नहीं है! पर अच्छा हुआ,  यह दिन आया,  हर भयानक चेहरा सामने आया,  वरना आगे तो और बुरा होता  अगर असली चेहरा मुझे पता ना चलता। पढ़िये अगला कविता (सब अपराधी) पढ़िये पिछला कविता (सवाल)

सवाल - एक कविता। Question - A Poem

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 सवाल  क्या खुदा है ? अच्छे और बुरे कर्म का फैसला  वह क्या सचमुच करता है? बुरे कर्म का नतीजा कौन भुक्ता है ? करने वाले या सहने वाले? अच्छे काम का फल क्या होता है ? दुनिया कौन चलाता है? चारों ओर लटमारी  दुर्बल जिए तो कैसे? कौन देगा उन्हें सजा? क्या सजा हो सकता है इन सब का?  आखिर विश्व का क्या होगा? मैं कौन सा राह चुनु,  अच्छा या बुरा?  अभी तो बुराई अच्छा कहलाता है।  पैसे को दम पर।  तो वुरा काम और अच्छे काम में  क्या कोई अंतर नहीं है? और कितना दिन,  हमें सहना पड़ेगा?  अब सहन नहीं होता। कैसे करूं खुदापर भरोसा?  अभी तो अच्छे इंसान का,  कोई कदर नहीं, और बुरा काम करने वालों का  अच्छे से कट रहा है जिंदगी! एइसे बहुत सवाल  आज हर किसी के मन में है पूछु तो किस से, जवाब देगा कौन? पढ़िए अगला कविता (अच्छा हुआ) पढ़िए पिछला कविता(तलाश)

तलाश - एक कविता | Search - A Poem

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तलाश  दिल चाहता है कुछ बड़ा करु,  कुछ ऐसा,  जो मुझे इतना खुशी दे,  जिसके आगे काम पर जाए  पिछले सब साल गाम का! तलाश जारी है मेरा,  कभी ना कभी तो जरूर मिलेगा  बह राह,  जो ले जाएगा मुझे वह मंजिल तक  जिसके लिए मैं भटक रहा हूं अब तक ! इतिहास गवाह है,  ढूंढने से मंजिल तो क्या  खुदा भी मिल जाता है।  एक दिन मुझे भी मिलेगा वह रास्ता,  मेरा भी बनेगा एक महल खुशियों का! यह विश्वास ही तो है  जो मुझे सहने का ताकत देता है,  कहता है मुझे,  किसी पर नहीं खुद पर विश्वास रख  जरूर मिलेगा तुझे हर सुख! परिये अगले कविता (सवाल) परिये पिछले कविता(सहनशक्ति) ---------------------------------***---------------------

सहनशक्ति - एक कविता। Endurance - A Poem

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 सहनशक्ति कभी सोचाना तुझे यह मिलेगा,  अच्छेपन का ऐसा कीमत देना पड़ेगा, जिंदगी होगा नरक जैसा  पर सब कुछ तुझे सहना पड़ेगा  टुटता है तो वह लोग  जिनका क्या काबिलियत नहीं होता! तु अलग है, टुट मत  जारी रख तेरा मेहनत। यह दुनिया अलग है  क्योंकि, इसे इंसान ने बनाया है,  यहां पैसा ही सब कुछ है  पैसा के पिछे ही सब दौड़ते हैं  इंसानियत का कोई कीमत नहीं  भगवान भी यहां घूस लेता है!  तू गलत समय पर धरती पर आया  जानवरों को बीच इंसान बना,  तेरा कीमत वह क्या समझेगा  उन्हें तो सिर्फ चाहिए पैसा! सब कहता है समय के साथ चल  पर, मैं कहता हूं इंसानियत लेकर चल,  भले जमाना तेरा बुड़ा करें  रास्ता तेरा हो कांटे से भरे,  पर मिलेगा तुझे सुकून  जो नसीब नहीं होता है उन सबको,  जो बन ना सके इंसान।                                         Sushanto Basak   परिये अगले कविता(तलाश) परिये पिछले कविता ( कैसी आजादी) My Utub...

कैसी आजादी - एक कविता। What Freedom - A Poem

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कैसी आजादी खाया मार, छोरा चैन  गया जेल, दिया जान,  सहा बहुत अत्याचार,  पूरा देश में छाया हुआ था अंधकार  क्यों, वह सोचते थे आजादी हमारे लिए? क्या सब, जो करें कर सकते थे, ताकि आजादी हमें मिले? पर आज सोचता हूं मैं  कैसी आजादी वह चाहते थे? लूटमार वाली, भ्रष्टाचार वाली, दुर्बलों का शासन करने वाली! कैसी आजादी वह चाहते थे? यहां देश चलाने वालों की कोई नीति नहीं, देशवासी के भलाई का कोई सोच नहीं,  अपने में सब मौज रहे, हैं देश को हर पल खोखले करते रहे,  कैसे आजादी बहुत चाहते थे? अगर बड़ा सो चाहत के बिना  बड़ा त्याग नहीं होता,  तो, आज यह आजादी हाम देख रहे हैं  इससे उनका चाहत नहीं हो सकता! क्या आपको नहीं लगता? जो अभी देश चला रहे हैं  उसका ए हक नहीं? देश को लूटने वाले  इंसान तो छोड़ो,  जानवर कहलाने के भी लायक नहीं! तो डर छोड़ो, अब बोलो  बहुत हो गया, अब छोड़ो! चाहिए हमें वह आजादी  जिससे खुशहाल हो देशवासी के जिंदगी!                                 ...

नया साल - Happy New Year

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नया साल चारों और कुछ बदलाव है, मानो जैसा कुछ गजब का बात है,  बैंड- बाजा, शोर- शराबा  पटकाभी फोड़ डाला!  खुशी का एक चादर फैला है  क्योंकि नया साल आया है! पाल है यह खुशी से भरा,  मौज- मस्ती चारों ओर चल रहा , जो शामिल है, वह तो खुश है  पर जो शामिल नहीं, वह ज्यादा खुश है। पर चौकाने वाला बात तो यह है  जो नहीं समझता, यह सब क्यों  वह भी खुश है।  हां भाई सब खुश है,  इस नए साल में कुछ तो बात है! हर दिल में है चाह, हर दिल में है विश्वास  अब आएगा वह पाल  मिलेगा वह खुशी  जो था मेरा ख्वाब, अब बदलेगा मेरा जिंदगी!                                      Sushanto Basak  परिये अगले कविता(कैसी आजादी) परिये पिछले कविता(बच्चे) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

बच्चे - एक कविता। Child - A Poem

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 बच्चे मैंने सुनाथा, बच्चे  अकलसे नासमझ होता है,  तो वह जानबूझकर इतना  शैतानी कैसे करते हैं!  दिमाग मत लगाओ यारों  शर घूम जाएगा,  एक बच्चेके साथ एक दिन खेल लो  सब समझ आजाएगा! वह दिलका सच जरूर होता है  मगर शैतानिमें सबको पीछे छोड़ता है, मगर अंतर है उसका और हमारा बदमाशी में, उन सबका देता है खुशियां  हमारा लाता है गम, इसलिए तो कहताहूं यारों  यह बच्चे किसीसे नहीं होता कम! एनर्जी का पावर हाउस  सोचमें उस्ताद, मन अगर बनाले किसी चीजका देना जरुर तुम्हें पड़ेगा, वरना.. दिला देगा तुम्हारे नानी याद! समझो मत उन्हें कम,   हो सकता है वह छोटे  एक दिन वही बनेगा  इस जग में राज करने वाले! ख्याल रखो उसका अच्छे से  सच्चा इंसान बनाओ,  वही है हमारा आने वाला कल  अपना कर्तव्य तुम जरूर करो! परिये अगले कविता (कैसे आजादी) परिये पिछले कविता (विमारी) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

बीमारी - एक कविता। Disease - A Poem

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  बीमारी सब लोग हैं परेशान  हर घर में है इसका निशान,  दवाखाना, हस्पाताल अगर हो कर आओ  तो पता चलेगा,  यह नहीं होने देता है जिंदगी आसान।  सुस्त इंसान रहे कैसे,  कुछ भी तो नहीं मिलता आज  जिसे कह सकू अच्छे।  खाने का हर चीज  आज है जहर से भरा,  क्या खाओगे तुम?  ना खाके रहोगे कैसे तुम?  खानेसे होता है बीमारी  नहीं खाओगे तो मरोगी भुखमरी! शुभे उठने से लेकर  रात को सोने जाने तक,  यहां की उसके बाद भी  हम सब तकनीकी चीज से गिरे है,   जो हमें थोड़ीसी राहत देता है मगर  करता है कम हमारा उमर।  लता है एक से बढ़कर एक बीमारी  जो करता है दर्दनाक जिंदगी हमारी। परिये अगले कविता (बच्चे) परिये पिछले कविता (पूजा) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

पूजा - एक कविता। Offering - A Poem

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 पूजा कर्म ही धर्म है, धर्म एक कर्म  पर दूसरोंको दुख देने वाले काम  ना कर्म , ना धर्म।  सव ए जानताहै,  बताओगे तुम किसे, ए गजबका समय है यारों  सब लगेहैं पैसे का खेल में। पैसा चाहिए ज्यादा, और ज्यादा! पैसा काम कैसे हो, नहीं परवाह, राजी है सब करने में  सिर्फ बताओ पयसा कितना मिलेंगे,  यही है दिल का वात सवका  क्या फर्क परता,  अगर पैसेके लिए हो बुरा किसीका! जब सोचना चाहिए, तब सोचेंगे नहीं   बादमें पछताना पड़े तो भी सही,  अकलके मारे नहीं, अकल है  पर पैसेके चाहत में धीरे हुए हैं  जब आते हैं प्रायश्चित का समय  कितना कुछ करतेहे, पूजा करतेहे, मन्नत मांगतेहे पर काम किसीसे भी नहीं होता  क्योंकि,  बुड़ा काम का अंजाम भुगतना पड़ताहे। परिये अगले कविता (विमारी) परिये पिछले कविता (रास्ता)

रास्ता - एक कविता। Way - A Poem

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 रास्ता ढूंढने से जरूर मिलता वह रास्ता सही  मैं तो निकल पड़ाथा ढूंढने उसे, कभी  ना जाने मिलेगा वह कब  होगा पूरा कब मेरा ख्वाब,  बन पाऊंगा क्या मैं कभी  इस जन्म मैं पाऊंगा क्या बह जिंदगी? आशा तो है बनुंगा जरूर  कुछ ना कुछ तो मैं करूंगा जरूर  साथमें जब खुदा है,  रास्ता तो मुझे मिलना ही है।  कर्म पर विश्वास है, किस्मत में नहीं  कुछ ना कुछ मैं जरूर करूंगा  शांत रहूंगा मैं नहीं।  कर्म का फल सबको मिलता है  मुझे मिलेगा क्यों नहीं। मिलेगा एक दिन वह रास्ता  उठेगा एक दिन जरूर वह सूरज  खिलेगा एक दिन वह फूल  जब मुझे वह सब मिलेगा  जो है ख्वाब आज। परिये अगले कविता (पूजा) परिये पिछले कविता (बिजली)

बिजली- एक कविता। Electricity - A Poem

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 बिजली दिखती नहीं पर होती है  वहुत जगाह एक साथ जाती है  करती कुछ नहीं पर,  बहुत कुछ करने के लिए सहायता करती है  जाने से मायूसी छा जाते हैं। आज दुनिया चल नहीं सकता  इसके बिन,  खुशियां जैसे घूम ही हो जाता है  इसके बिन, रातमें कुछ दिखता नहीं  इसके बिन,  टेक्नोलॉजी कुछ काम की नहीं  इसके बिन। उनसे पूछो जिसको कोई प्रिंट करना है  और ए नहीं रहता, उनसे पूछो जिसका मोबाइल चार्ज करना है  और यह नहीं रहता,  उनसे पूछो जिसको मशीन का कुछ काम है  और यह नहीं रहता,  वह सब बताएगा तुम्हें इसका नाम,  मैं मुहावरा बताया,  ढूंढना अब तुम्हारा काम! परिये अगले कविता (रास्ता) परिये पिछले कविता (बदलता जिंदगी)