खामोशी - एक कविता। Silence - A Poem

 खामोशी 


खामोशी - एक कविता। Silence - A Poem

क्या सोच सोचाथा मैं ऐसे होगा 

कुछ ना करके दिन कटेगा?

 रह पाऊंगा घर में मतदानके समय में!


चारों ओर शोर

 पर दिल में नहीं,

 हर कोई कर रहा है काम 

पर मैं नहीं।


इच्छा तो है पर चाहत नहीं था 

क्योंकि गलती से भरा है मतदान प्रक्रिया,

ना सरकार, ना कमिशन 

कोई नहीं चाहता 

निर्भय होकर मतदान करें हर मतदाता।


मतदान से अब मेरा उठ गया है भरोसा

 अभी कुछभी नहीं है पहले जैसा,

ना नेता, ना नीति

 भयानक दलदल बन गया है ए राजनीति।

 इसलिए ना चाहते भी में खुशहु

 ए खामोशी तुझे में सलाम करता हूं।


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