नींद - एक कविता। Sleep - A Poem
नींद
हर कोई है इससे परेशान
इससे प्रभावित है हर एक इंसान,
आता है यह सब के पास
किसी को मिलता है चैन
कोई करता है अफसोस!
बात ही है इसका अलग
इसके बिन काम नहीं करता किसीका दिमाग,
अगर जीना है तो यह चाहिए
इसके बिन जिंदगी नरक बन जाता है।
24 घंटा में एक बार मुलाकात जरूरी
वरना घिरेगा एक से बढ़कर एक बीमारी,
दौड़ना पड़ेगा डॉक्टर के पास
डॉक्टर भी करेगा एइसा इलाज़,
निकल जाएगा सारा दौलत
खराब हो जाएगा हालत।
यह देखकर नींद आएगा
पूछेगा तब,
क्यों दौलत कम नहीं आया?
मुझे छोड़ा दौलत कमाने,
दौलत खोया मुझे पाने!
अब बताओ क्यों जी रहे हो
मुझे या दौलत से प्यार करते हो।
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