अच्छा हुआ - एक कविता। Good Happened - A Poem
अच्छा हुआ
जिंदगी जैसे दलदल में फंसी है
इससे बाहर निकलु तो कैसे,
कोई रास्ता दिख नहीं रहा है
जो है वह मुमकिन नहीं है।
कभी ना सोचा था ऐसा होगा
समय इतना बुरा आएगा,
अब सहन नहीं होता,
पर कोशिश कर रहा हूं, खुश रहने का।
दिन गुजरते हैं कैसे
यह मैं सिर्फ जानू,
हाल कितना बुरा
बताऊं तो किस बताऊं?
इंसान तो सिर्फ देखने में इंसान है,
इंसानियत क्या है, उसे मालूम नहीं है!
पर अच्छा हुआ,
यह दिन आया,
हर भयानक चेहरा सामने आया,
वरना आगे तो और बुरा होता
अगर असली चेहरा मुझे पता ना चलता।
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