कैसी आजादी - एक कविता। What Freedom - A Poem
कैसी आजादी
खाया मार, छोरा चैन
गया जेल, दिया जान,
सहा बहुत अत्याचार,
पूरा देश में छाया हुआ था अंधकार
क्यों,
वह सोचते थे आजादी हमारे लिए?
क्या सब, जो करें कर सकते थे,
ताकि आजादी हमें मिले?
पर आज सोचता हूं मैं
कैसी आजादी वह चाहते थे?
लूटमार वाली, भ्रष्टाचार वाली, दुर्बलों का शासन करने वाली!
कैसी आजादी वह चाहते थे?
यहां देश चलाने वालों की कोई नीति नहीं,
देशवासी के भलाई का कोई सोच नहीं,
अपने में सब मौज रहे,
हैं देश को हर पल खोखले करते रहे,
कैसे आजादी बहुत चाहते थे?
अगर बड़ा सो चाहत के बिना
बड़ा त्याग नहीं होता,
तो, आज यह आजादी हाम देख रहे हैं
इससे उनका चाहत नहीं हो सकता!
क्या आपको नहीं लगता?
जो अभी देश चला रहे हैं
उसका ए हक नहीं?
देश को लूटने वाले
इंसान तो छोड़ो,
जानवर कहलाने के भी लायक नहीं!
तो डर छोड़ो, अब बोलो
बहुत हो गया, अब छोड़ो!
चाहिए हमें वह आजादी
जिससे खुशहाल हो देशवासी के जिंदगी!
Sushanto Basak
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