बच्चे - एक कविता। Child - A Poem
बच्चे
मैंने सुनाथा, बच्चे
अकलसे नासमझ होता है,
तो वह जानबूझकर इतना
शैतानी कैसे करते हैं!
दिमाग मत लगाओ यारों
शर घूम जाएगा,
एक बच्चेके साथ एक दिन खेल लो
सब समझ आजाएगा!
वह दिलका सच जरूर होता है
मगर शैतानिमें सबको पीछे छोड़ता है,
मगर अंतर है उसका और हमारा बदमाशी में,
उन सबका देता है खुशियां
हमारा लाता है गम,
इसलिए तो कहताहूं यारों
यह बच्चे किसीसे नहीं होता कम!
एनर्जी का पावर हाउस
सोचमें उस्ताद,
मन अगर बनाले किसी चीजका
देना जरुर तुम्हें पड़ेगा, वरना..
दिला देगा तुम्हारे नानी याद!
समझो मत उन्हें कम,
हो सकता है वह छोटे
एक दिन वही बनेगा
इस जग में राज करने वाले!
ख्याल रखो उसका अच्छे से
सच्चा इंसान बनाओ,
वही है हमारा आने वाला कल
अपना कर्तव्य तुम जरूर करो!
Comments
Post a Comment