बीमारी - एक कविता। Disease - A Poem
बीमारी
सब लोग हैं परेशान
हर घर में है इसका निशान,
दवाखाना, हस्पाताल अगर हो कर आओ
तो पता चलेगा,
यह नहीं होने देता है जिंदगी आसान।
सुस्त इंसान रहे कैसे,
कुछ भी तो नहीं मिलता आज
जिसे कह सकू अच्छे।
खाने का हर चीज
आज है जहर से भरा,
क्या खाओगे तुम?
ना खाके रहोगे कैसे तुम?
खानेसे होता है बीमारी
नहीं खाओगे तो मरोगी भुखमरी!
शुभे उठने से लेकर
रात को सोने जाने तक,
यहां की उसके बाद भी
हम सब तकनीकी चीज से गिरे है,
जो हमें थोड़ीसी राहत देता है मगर
करता है कम हमारा उमर।
लता है एक से बढ़कर एक बीमारी
जो करता है दर्दनाक जिंदगी हमारी।
Comments
Post a Comment