बिजली- एक कविता। Electricity - A Poem
बिजली
दिखती नहीं पर होती है
वहुत जगाह एक साथ जाती है
करती कुछ नहीं पर,
बहुत कुछ करने के लिए सहायता करती है
जाने से मायूसी छा जाते हैं।
आज दुनिया चल नहीं सकता
इसके बिन,
खुशियां जैसे घूम ही हो जाता है
इसके बिन,
रातमें कुछ दिखता नहीं
इसके बिन,
टेक्नोलॉजी कुछ काम की नहीं
इसके बिन।
उनसे पूछो जिसको कोई प्रिंट करना है
और ए नहीं रहता,
उनसे पूछो जिसका मोबाइल चार्ज करना है
और यह नहीं रहता,
उनसे पूछो जिसको मशीन का कुछ काम है
और यह नहीं रहता,
वह सब बताएगा तुम्हें इसका नाम,
मैं मुहावरा बताया,
ढूंढना अब तुम्हारा काम!
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