राजनीति - कविता। Politics - Poem

 राजनीति


निकला सव लेके सपथ
करने सुधार देश,
करेंगें सव काम साथ साथ
ताकि देशवासी रहे खुश।
पर यव आये मैका टेश सुधारने का
भुलगया सव वादा,
पयसेका चाहमे डुवके,
आपना जेव भरने लगा।
 दिल में ना कयि सच्चाई, ना कयि नीति
एहि सव लोग करते हे राजनीति।

राजनीति - कविता। Politics - Poem

कहां है वह समय,
वैसा नेता कहा हे,
जो आपने चाह भुलाके,
देशवासी के वारे में सोचतेथे।
वहथा समय, 
यव भरोसा करते थे टेशवासी,
देश के भालाइका रास्ता है राजनीति।

आज ना वैसा नेता हैं
ना वैसी राजनीति,
नेता सव लुटनेमे लगेंहे,
दुर्नीति के दुसरे नाम हुया राजनीति।
अच्छे इन्सानका कदर नहीं,
भलाइका जमाना नहीं,
आज जिनसवका दिल साफ नहीं,
  राजनीति करतेहे वहीं।

परिये अगले कविता (बदलता जिंदगी)

परिये पिछले कविता (बातें)




Comments

Popular posts from this blog

ওয়াল ম্যাগাজিন - একটি কবিতা। Wall Magazine - A Poem

ফেয়ারওয়েল কবিতা। Farewell - A Poem

नया शुरुआत - एक कविता। New Beginning - A Poem

Social Service - A Poem

বিদ্যাসাগর - একটি কবিতা। Vidyasagar - A Poem

Greed - A Short Story

Something Special - A Poem