रुपिया - एक कविता। Money - A Poem
रुपिया
रोटी, कपड़ा और मकान
जिनेके लिए चाहिए यह तिन,
पर इंसानको और चाहिए
इसके लिए, वह
कुछभी करने के लिए तैयार है!
आदर्श, नीति यह तो पुरानी बात
अभी तो सबकुछ बिकता है
सिर्फ देने पड़ेगा अच्छा कीमत,
रुपया है, तो मिलेगा सव!
कहांसे आया रुपया,
कोई नहीं मांगेगा हिसाब!
व्यापारियों का दुनिया है,
हर कोई व्यापार में लगा हुआ है
कोई खरीदते, तो कोई वेजते है,
पर, मुनाफा सबको चाहिए!
एक कहावत है
समय के साथ चलना चाहिए
अब सोचके देखो,
अगर सब कोई रुपयाके पीछे भागनेलगे
तो नतीजा क्या होगा,
देश आगे बढ़ेगा?
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