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Showing posts from June, 2023

হঠাৎ - কবিতা। Unexpectedly - Poem

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 হঠাৎ বসে আছি ক্লাসে  যদিও আমি শেষে, রাজকুমার স্যারের আলোচনাতে  আমরা সকলে মাতোয়ারা হয়ে, এরই মাঝে স্যারের আবদার  লেখতে হবে একটি কবিতা যে!  স্যারকে কিভাবে বোঝায় নই আমি নচিকেতা যে, আমার নাম সুশান্ত,  সুকান্তও নয় যে!  মাথায় হাত বুলিয়ে দেখি  সেটিও পড়ে আছে হয়ে খালি  ভেবে আমি অস্থির,  কিন্তু একটি কবিতা তো দরকার  হঠাৎ ডায়েরী-এর পাতায় চেয়ে দেখি  আর একি! একটি কবিতা ইতিমধ্যেই লিখে ফেলেছি! পরুণ পরবর্তী কবিতা (পরীক্ষার নম্বর) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা (বৃষ্টি)

A Promise Irreversible - Poem

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 A Promise Irreversible It is my promise to me,  I will never stop to learn  And carry on writing poetry!  This very day, this very time  I make this promise, take this very oath,  I will never stop my line  Till my death! No fear, no anxiety  Will ever be able,  To swell the confidence in me,  That I call marvel!  My mind will remain firm  My head will not stop  Though fear may try to harm   I will remain non-stop. I have now gained  A firm determination, an infinite power,  So, anything to face - I am Prepared Till I gain what I desired! Read Next Poem (Peculiar Arrangement) Read Previous Poem (Violin)

राजनीति - कविता। Politics - Poem

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 राजनीति निकला सव लेके सपथ करने सुधार देश, करेंगें सव काम साथ साथ ताकि देशवासी रहे खुश। पर यव आये मैका टेश सुधारने का भुलगया सव वादा, पयसेका चाहमे डुवके, आपना जेव भरने लगा।  दिल में ना कयि सच्चाई, ना कयि नीति एहि सव लोग करते हे राजनीति। कहां है वह समय, वैसा नेता कहा हे, जो आपने चाह भुलाके, देशवासी के वारे में सोचतेथे। वहथा समय,  यव भरोसा करते थे टेशवासी, देश के भालाइका रास्ता है राजनीति। आज ना वैसा नेता हैं ना वैसी राजनीति, नेता सव लुटनेमे लगेंहे, दुर्नीति के दुसरे नाम हुया राजनीति। अच्छे इन्सानका कदर नहीं, भलाइका जमाना नहीं, आज जिनसवका दिल साफ नहीं,   राजनीति करतेहे वहीं। परिये अगले कविता (बदलता जिंदगी) परिये पिछले कविता (बातें)

বৃষ্টি - কবিতা। Rain - Poem

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 বৃষ্টি বৃষ্টি! বৃষ্টি! বৃষ্টি!  এ কোন অনাসৃষ্টি! তুমি কেন এত নির্দয়, তোমার জন্য আজ মানুষ অসহায়, তবু কি তোমার কোন আক্ষেপ নেয়! এইতো কদিন আগে  তুমি নিয়েছিলে ভয়ঙ্কর রূপ,  এসেছিল আগ্রাসী বন্যা  বাড়ি-ঘর, খাদ্যশস্য হয়েছিল ধ্বংসস্তূপ!  তবুও তোমার মনে হয়নি  আর না! আর না! তুমি আবার এসেছো ফিরে  সেই আগের রূপটি নিয়ে, কিপাবে, এত ধ্বংস করে!  এখন মানুষেরা ব্যস্ত,  ঠিক করতে তাদের ঘর-দোর সমস্ত তাদের জীবনযাত্রা এখন বিপর্যস্ত,  দিওনা তুমি, তাদের এত কষ্ট! পরুণ পরবর্তী কবিতা (হঠাৎ) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা ( মিসিং ডায়েরি)

Violin - A Poem

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 Violin With string and wooden frame  You are called violin by name!  You produce such notes, That enliven millions of hearts; And give hope to those  Who are bitterly hurt! Time and tech have wrought upon you  But none can take the melody  Being produced by you! You carry your enivening task, Always ready with something new  When anyone asks! Human beings have lot  To learn from you! For the betterment of the world  And to do something new! Read Next Poem (A Promise Irreversible) Read Previous Poem ( Poetry Publication Feeling)

कैसे आजादी - शायरी। What Type of Freedom - Shayeri

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 सोचता हूं मैं अभी  ऐसे आजादी क्या उन्हें चाहिएथा, सोचता हूं मैं अभी  ऐसे आजादी क्या उन्हें चाहिएथा,  जो आजादी के लिए  अपनी जान खुशीसे दियाथा। परिये अगले शायरी परिये पिछले शायरी

মিসিং ডায়েরি - কবিতা। Missing Diary - Poem

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 মিসিং ডায়েরি ম্যাম, আমার পরীক্ষার খাতাটি দেখেছেন?  জমা দিয়েছিলাম আপনার কাছে,  তারপর তাকে পায়নি আমি যে,  জানিনা সে কার কাছে আছে  আমাকে সে কি ভুলে গেছে! নিয়ে এসেছিলাম তাকে বাড়ি থেকে  লেখেছিলাম অনেক কিছু যত্ন করে তাতে,  ভেবেছিলাম সে নিয়ে আসবে ভালো নম্বর,  কিন্তু একি অনারম্বর!  আজ পর্যন্ত জানালোনা সে আমায় নম্বর,  আমি খুজে ফিরি তাকে দিক থেকে দিগন্তর,  এখন পরিস্থিতি ভয়ংকর! ম্যাম প্লিজ! বলে দেবেন  আমার খাতাটি কাকে দিয়েছেন?  পরীক্ষার নম্বর আছে তাই  সে যে আমার নয়নের মনি  আমি যেন তার বিনে  মনি হারা ফণী! পরুণ পরবর্তী কবিতা (বৃষ্টি) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা ( জীবন তরী)

Poetry Publication Feeling - Poem

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 Poetry Publication Feeling What a feeling  Beyond word!  Still writing,  Having belief in sharing, It will drive me forward! Little pride, great joy  You can't imagine  How did I enjoy!  Like a pigeon  I did fly, Showing my skill  From the clear sky! Too high, too high  From the ground, Like a tied bird  Which has just become unbound! Suddenly it downs upon me  It bears a responsibility! Don't fly so high,  Otherwise, your true expression  Will bid you goodbye! Read Next Poem (Violin) Read Previous Poem (To Nature)

समस्या से सीख - शायरी। Learning from Problem - Shayeri

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 समस्या बुरा नहीं होता  इससे आंख मिलाकर तो देखो, समस्या बुरा नहीं होता  इससे आंख मिलाकर तो देखो,  देतेहे ए सीख जिंदगी का  तुम दिल नहीं दिमाग से परख करके तो देखो। परिये अगले शायरी परिये पिछले शायरी

To Nature - A Poem

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To Nature Oh Nature!  You really are greater , we are your humble worshippers  Please accept our prayers! You always are a source of joy  For you, we enjoy  We enjoy to our heart's content  And feel blessed, Though we are hurt and feel depressed! You are the supreme healer  To this world of mankind  You relieve us of pain or fear  Of any kind!  Oh Nature! you are too kind. How can we - the human  Become like you?  That the joyous breeze can run,  Which is lame now! Read Next Poem ( Poetry Publication Feeling) Read Previous Poem (Getting Myself Back)

জীবন তরী - কবিতা। Life-Boat - A Poem

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 জীবন তরী হে তরী, তুমি আজ সহায়      তুমি আজ সম্বল  তোমারে প্রণাম করি।  তুমি আছো বলে           মানুষ পার হয়ে দলে দলে  সেই তলিয়ে যাওয়া স্থান খানি। নাছিলো উপায়      ব্রিজ খানি ভেঙ্গে যাওয়ায়  তমা বেনে!  তুমিই আজ রক্ষা কর্তা       এতগুলো প্রাণের ত্রাতা  প্রণাম তোমায়, প্রণাম তোমায় । হয়েছিলাম বিচ্ছিন্ন           পথ হয়েছিল ছিন্ন  সেই ভয়ংকর বন্যায়  সে হয়েছিল ভয়ঙ্কর        ভাসিয়ে দিয়েছিল গ্রাম থেকে গ্রামান্তর  কেঁড়ে নিয়েছিল যোগাযোগের পথ। কিন্তু তুমি এলে সেই বিপদে           পাশে থাকলে পদে পদে   নিলে ভার নিজবুকে তুলে।  তোমার এই জয়গাঁথা             থাকিবে ইতিহাসে লেখা  তুমি যে জীবন তরী! পরুণ পরবর্তী কবিতা (মিসিং ডায়েরি) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা (পাহারা)

बातें - कविता। Conversation - A Poem

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 बातें जिंदगीने पूछा मुझे,  बोल तुझे क्या चाहिए!  मैंने बोला,  थोड़ा सुकून, थोड़ा चैन, थोड़ा खुशी, सुनकर जिंदगीने बोला, जन्मेहो इंसान बनकर,  खुदा बाला चाहत नाख, संसार दुखसे घिरा हुआहै  मिलेगा तुम्हें कहांसे सुख!  मैंने बोला, खुदा आगर हमारा पालनहार है  तो, सबका ख्याल रखना  उसका करतव्य है,  हमें वह अगर सुख ना दे सकता  तो, सुख उसे कैसे नसीब हो रहे हैं? इसे सुनकर जिंदगी बोला,  यही तो अंतर है इंसान और खुदामें, वह खुदा है इसलिए खुश नहीं है, वह खुश है इसलिए वह खुदा कहलाता है! परिये अगले कविता (राजनीति) परिये पिछले कविता (फुटबॉल)

त्याग की शायरी। A Shayeri on Selfishness

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 हम सव हे अपनेमें सीमित  अपनेपन से निकल कर तो देखो, हम सव हे अपनेमें सीमित  अपनेपन से निकल कर तो देखो, मिलेगा तुम्हें बहुत सारा खुशियां  एक बार कोशिश करके तो देखो। परिये अगले शायरी परिये पिछले शायरी

वच्चे पर शायरी। Shayeri On Children

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 यह बच्चे इतना शैतान क्यों होता है, यह बच्चे इतना शैतान क्यों होता है,  अरे भाई,  शैतान होता है इसलिए तो वह बच्चे कहलाते हैं। परिये अगले शायरी परिये पिछले शायरी

हौसला - शायरी। Passion - Shayeri

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 हौसला है तो दिखा जस्बा, हौसला है तो दिखा जस्बा, वरना जो मुकाम हासिल करना चाहते हो  वह तुम्हें कभी ना मिलेगा, कभी ना मिलेगा। परिये अगले शायरी परिये पिछले शायरी

Getting Myself Back - Poem

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Getting Myself Back I am getting myself back  Once I did lack My confidence totally, Broke down both physically and mentally!  Situations went too wrong,  I could not remain strong!  Got humiliated, down-trodden in every way, But I had faith, though little that one day  Justice will be done to me,  I must become what I want to be! Now, I am relieved much  My confidence is coming back;  And I do feel, I can touch  My dream, fulfill my aim,  That day must come, must come! Now, I can laugh  Time has passed that was tough!  I have now regained  My sense of judgement! Got back physical and mental strength,  No matter now can hurt me,  I must become what I want to be! Read Next Poem (To Nature) Read Previous Poem ( Mother Tongue)

अपने दम पर जीना - शायरी । Self Dependent - Shayeri

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 कशिस करो जिने वादशाके तहरा पर आपने दमपे, कशिस करो जिने वादशाके तहरा पर आपने दमपे, दुसरोके फेंके तो कुत्तेभि खाते हैं, पर उसे जिना नहीं कहते। परिये अगले शायरी परिये पिछले शायरी

পাহারা- কবিতা। Vigilance - Poem

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 পাহারা গ্রামে গ্রামে পাহারা  দেয় সকল গ্রামবাসীরা,  যদিও ঘুমের ভারে তারা  হয়ে যায় দিশেহারা!  তবুও মনে হয় তাদের  যেন রাত জাগা তারা! মনেতে চুরির ভয়,  হৃদয় বলে, চলো ঐক্যবদ্ধ হয়!  তবেই ঘুচবে এ ভীতি,  চলো জাগি দলবদ্ধভাবে রাতে,  হে ঈশ্বর, এ কোন্ পাপাচার, দুর্নীতি! এলাকায় খাদ্যের অভাব, মানুষ বদলে ফেলেছে স্বভাব,  দেখা দিয়েছে বন্যার প্রাদুর্ভাব!  কিন্তু, ভুলে যেও না  জীব শ্রেষ্ঠ তুমি!  ঝেরেফেলো আমিত্বের আমি  জীবনের কঠিন পরীক্ষা এযে,  উত্তীর্ণ তোমায় হতেই হবে!  তবেই তো প্রমাণিত হবে  শ্রেষ্ঠ প্রাণ তুমি পৃথিবীতে! পরুণ পরবর্তী কবিতা (জীবন তরী) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা (হে সৃষ্টিকর্তা)

फुटबॉल - एक कविता। Football - A Poem

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 फुटबॉल खेलतो बहुत सारा है  पर, तुम्हारा जैसा कोई नहीं  खेलनातो सब जानते हैं  पर, जिसमें हिम्मत और बुद्धि है  फुटबॉलमे जीत्ताहै वही! तुमतो हो खेलोंके सान  जितना वक्त चलतेहो  सिर्फ खिलाड़ियोंको नहीं  देखनेवालोंकोभी खेल सिखातेहो!  सबके अंदर ज्बालातेहो आंग, हिम्मतका  और, आखरीमें समझातेहो,  यह खेल नहीं डरने वालोंका। हिम्मत एक आकरा है  तो, कौशल दूसरा,  इसके साथ अगर गति मिल जाए  तो, उसका कोई कर ना सके मुकाबला! फुटबॉलमें मजाही कुछ और है  क्योंकि, असली खिलाड़ी रहताहै  मैदान के बाहरमें!  खिलाड़ी तो सिर्फ मोहरा है  उन्हें अंजाम देता होताहै!  दिमाग तो बाहर चलताहै, उसे पताहै कब, क्या करनाहै!  यह मेलबंधन दिमाग और हिम्मतका यहीतो मजाहै, फुटबॉल खेलने और देखनेका!  परिये अगले कविता (बातें) परिये पिछले कविता (हल)

Mother Tongue - A Poem

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 Mother Tongue Oh! what a joy, I do find  When I here my mother tongue,  It enters my ear,  Like a pleasing sensation! And helps me forget  All my pain, frustration, depression, expectation;  Really, my mother tongue is a champion, a true champion! I have heard so many languages  And none have satisfied me the most,  But when I hear my mother tongue  I always get lost!  And find me in a colourful valley, Happiness duels where all time,  That is why I consider my mother tongue  The most supreme, the most supreme! But I do not bear ill to any language  Never meat any harm,  I only want to go on a voyage, With my mother tongue!  Every language is charisma  But not to everyone,  I just want to remain, with my mother tongue! Read Next Poem (Getting Myself Back) Read Previous Poem (Words Of A Pessimist)

হে সৃষ্টিকর্তা - একটি কবিতা। Oh Creator - A Bengali Poem

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হে সৃষ্টিকর্তা হে সৃষ্টিকর্তা সৃষ্টির এই বৈচিত্র্যময়ী ছবি  এঁকেছেন কোন কবি? তার ঠিকানা আমায় দাও,  আমি তাকে বলবো  যা কিছু দুঃখের, কষ্টের, যন্ত্রণার  ফিরিয়ে নাও, ফিরিয়ে নাও, ফিরিয়ে নাও!  কেনো এত যন্ত্রণা?  কেনোই বা অনাহার, অবিচার, বঞ্চনা?  মুছে ফেলো তোমার সৃষ্টি থেকে  সবকিছু, যা প্রাণহানি ডাকে! গড়ে তোলো তুমি এক নতুন বিশ্ব  যেখানে মানুষ বাঁচবে নিজের মতো! সেখানে দিওনা কোন স্থান  বন্যা, খরা, দুর্ভিক্ষ, মহামারীর যারা নিয়ে যায় শত শত প্রাণ! গড়ে তোলো তুমি এক আনন্দময় বিশ্ব, যা যথার্থই প্রমাণ করবে  তুমিই শ্রেষ্ঠ, তুমিই শ্রেষ্ঠ, তুমিই শ্রেষ্ঠ! পরুণ পরবর্তী কবিতা (পাহারা) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা (ফেয়ারওয়েল)

हल - हिंदी कविता। Solution - A Hindi Poem

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हल एक कहावत है  मेहनतका फल और समस्या का हल  देर सही पर मिलता जरूर है वह, धीरज रखना है! समय कभी एक जैसा नहीं होता  समस्या कितनाभी जटिल हो एकदिन हल जरूर निकलता! जिंदगी खुशियों भरा नहीं होता  होनाभी नहीं चाहिए  अगर नहीं होगा समस्यासे मुकाबला  तो आगे कैसे वरोगे? कठिनाई आती है जीना सिखाने, तुम्हें सिर्फ धीरजसे काम करनाहै  हौसला कभी ना हारो  और, हल्का तलाश जारी रखो! कहतेहैं ढूंढनेसे भगवानभी मिलताहै  तो, हल क्यों नहीं मिलेगा? दिल से काम करते जाओ  तलाशभी जारी रखो,  वह समय जरूर आएगा,  तुम्हारा समस्याका हल जरूर मिलेगा! परिये अगले कविता (फुटबॉल) परिये पिछले कविता (रुपिया)

Words Of A Pessimist - A Poem

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  Words Of A Pessimist Life to me is only pain  All my hope, aspiration, ambition;  Now are in vain! Oh! what a pain, what a pain.  I was a free man, I never new  God has prepared a chain, To tie me so hard, as never again I can follow my ambition! I never thought, oh God! You would be so heartless You are bent on to take off my flesh!  Oh! I am helpless, too helpless! You created me, for what purpose, To endure suffering, endless!  What an unlucky person I am, alas!  Life appears to me too tortuous! Now, there is no purpose of living,  I am just waiting  For that ultimate blow,  Which you will cast  To turn me into dust!  Be quick at your work  End me in this dark! Do no be a Pessimist... Life is Beautiful.... Work Hard! Read Next Poem (Mother Tongue) Read Previous Poem (26th January)

ফেয়ারওয়েল কবিতা। Farewell - A Poem

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 ফেয়ারওয়েল নমস্কার স্যার, নমস্কার!  ব্যথিত হৃদয়ে চিত্ত মম  আজ করে হাহাকার!  নমস্কার স্যার, নমস্কার! দুর্দিনে আপনি ছিলেন, ছিলেন আমার পাশে  সেই সময়ের ব্যথা যেন, এখনো ধেয়ে আসে!  এই ধরায় এমন মানুষ বারবার কি আসে,  আপনি ছিলেন আমার পাশে! ছিল আমার কিছু দোষ  যেগুলো আপনি গেছেন এড়িয়ে,  আমার আত্মসম্মান আমায়  দিয়েছেন আপনি ফিরিয়ে! করেছি কাজ অনেক জায়গায়  আসেনি সেরকম কোনদিন,  বড় যতই হই আমি  রইবো চিরদিন আপনার অধীন! আপনি আমায় ভুলে গেছেন,  আসেনা যেন এমন দিন,  এই স্কুলে রইল আপনার  আমন্ত্রণ চিরদিন! সুখে থাকুন, ভালো থাকুন  রইলো এই প্রার্থনা আমার,  ভালোভাবে কাটে যেন  অবশিষ্ট সময় আপনার! পরুণ পরবর্তী কবিতা (হে সৃষ্টিকর্তা) পরুণ পূর্ববর্তী কবিতা ( ভালো মানুষ)

रुपिया - एक कविता। Money - A Poem

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 रुपिया रोटी, कपड़ा और मकान  जिनेके लिए चाहिए यह तिन,  पर इंसानको और चाहिए  इसके लिए, वह  कुछभी करने के लिए तैयार है! आदर्श, नीति यह तो पुरानी बात अभी तो सबकुछ बिकता है  सिर्फ देने पड़ेगा अच्छा कीमत, रुपया है, तो मिलेगा सव!  कहांसे आया रुपया,  कोई नहीं मांगेगा हिसाब!  व्यापारियों का दुनिया है, हर कोई व्यापार में लगा हुआ है  कोई खरीदते, तो कोई वेजते है,  पर, मुनाफा सबको चाहिए! एक कहावत है  समय के साथ चलना चाहिए  अब सोचके देखो,  अगर सब कोई रुपयाके पीछे भागनेलगे  तो नतीजा क्या होगा,  देश आगे बढ़ेगा? परिये अगले कविता (हल) परिये पिछले कविता (संदेश )