वनभोजन कविता| A Poem on Celebration of Picnic

 वनभोजन

 बहुत साल बाद मेरा

 दिल ने किया पुराना ऐसा घरक धरक!

 क्योंकि, सतरा साल बाद मैंने 

फिरसे किया आज वनभोजन।

 आइटेम कम हो सकताहे

 पर, मजा कम नहीं था,

 आज मुझे फिर पुराने दिन याद आगया।

वनभोजन कविता| A Poem on Celebration of Picnic


सबने मिलकर मौज किया

 क्या बहुत सारे बातें भी

 हम सबने आज बनाया

 एक खुशियोंकी यादे जिंदगी की।

 इस पलने दी सबको एक शिक्षक जिंदगी की,

अगर इंसान सच्चा हो,

 उसे  जरूर मिलताहे खुशी।


बदल गया हर दोस्त

बीतेहुए बचपन की

 आज वह सब बहुत याद आताहे

 जिन सबके साथ मैंने छाटेमें बनभोजन की।

वह याद और ए याद

 समय में सिर्फ अंतर है 

सतरा साल बाद मैंने आज

 फिर से बनभोजन कियाहे।


परिये अगले कविता (सफलताकी राह)

परिये पिछले कविता (नया साल)






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