एक आवाज कविता| A Voice for Unity

 एक आवाज

मैं मुस्लिम, तू हिंदू, और कोई है सिख

 में मुस्लिम, तु हिंदू, और कोई है सिख।

मजहब अलग-अलग हो सकताहे

 पर, खुदा सबका है एक।

 पुकारते हैं हम उसे 

अलग अलग नामसे,

 पर, नाम में क्या रख्खा है, मेरे दोस्त 

पहचान बनता है कामसे।

 काम करो ऐसा

 सब बनना चाहे तुम्हारा जैसा,

 भेदभाव सब भूल जाओ

 सबके लिए तुम खुशियां लाओ।

एक आवाज कविता| A Voice for Unity


जिंदगी है बहुत छोटा, मेरे यार

 कब समझोगे तुम,

 जब हो जाएगा ए पार

 जो करना है वह अब करो ,

अच्छे काम की साथ आगे बढ़ो

 रहोगे तुम सबके दिलमें,

क्योंकि, कर्म ही सब है

 क्या रखा है नाम में।


परिये अगले कविता (नेताजी)

परिये पिछले कविता (पहचानो मुझे)





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