२६ जनवरी कविता| A Poem on 26th January
२६ जनवरी
आज का दिन इस देश के लिए खास है
क्योंकि, इसका एक गौरवमई इतिहास है।
चलो तुम सबको बताएं इसके बारे में
पता चलेगा तुम्हें क्या हो रहा था इस देश में।
यह था एक खुशहाल देश, एक सोने की खान,
जिसे लूटने आया मुगल- पठान।
बहुत सारे आए, कुछ रह गए, कुछ लूट कर चला गया
पर, इसका कुछ ना कर पाया।
यह तो था एक सागर जैसी
जिससे थोड़ीसी पानी लेलो और डालदो ,
इसे कोई फर्क नहीं पड़ती, फर्क नहीं पड़ती।
पर, उसके बाद आया एक भयानक राक्षस
जिसे सब कहता है ब्रिटीष।
बह तो था इन सबका बाप,
वह इस देशसे सबको कर दिया साफ।
अकेला बोराज करने लगा
उसके आगे कोई ना टिका, कोई ना टिका।
बुद्धि भी था उनका बहुत तेजधार
इस देश में छागया अंधकार।
लूटमारी, खून खराबी, मारपीट-कुछभी ना छोड़ा
वह सब लेने लगा, जो था हमारा।
देशवासीने बोला अब हुया बहुत
देश छोड़ो या होगा तुम सबका मौत।
लाहोरमे १९३० सालको इस दिन
सबने लिया फैसला, देश होगा आजाद।
एक तेजका आंग चारों ओर दौड़ने लगा
राक्षक ब्रिटीष तब डरने लगा।
बह दिखाने लगा अपनी बुद्धि और सेना का जोर
पर, हमभी थे अटल नहीं दिया छोड़।
थोड़ा समय लगा पर आया बह दिन
ही देश हमारा हुआ आजाद एकदिन।
पर, उसदिनको इयाद रखने के लिए
संविधान रचनाकारों ने बिचार किया,
और इसदिनको प्रजातन्त्र दिबस नाम दिया।
यही है कहानी इस दिन का
तुम इसे कभी भूल ना जाना, भूल ना जाना।
हर वक्त कोशिश करना, कुछ अच्छा करने का
उससे होगा भाला तुम्हारा और तुम्हारे देशका।
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