पहचानो मुझे कविता| A Poem on New Year
पहचानो मुझे
पहचाना मुझे
मैं कौन हूं
हर साल में एक दिन
में आता हूं।
लेकर बहुत आताहूं तुम सबके लिए
बहुत सारी खुशियां
मेरे साथ झुम उठता हे
सारा दुनिया।
हालही में कुछ महीने पहले,
मैं आया था
इस जग में खुशियों की बरसात,
में लाया था
अभी भी याद नहीं आया
दिमाग में थोड़ा जोर डालो
तुमने कितना मौज किया मेरे आनेपर
अबतो पहचानो
भूलने की बीमारी तुम्हारा जाएगा नहीं
इसलिए तो तुम इंसान हो,भगवान नहीं।
मैं ही बता देता हूं अब
क्या कहना और
मैं हूं १ जनवरी
जब तुम कहते हो "हैप्पी न्यू ईयर"
नए साल की बधाई सबको देतेहो।
परिये पिछले कविता (मात्री भाषा)
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