नेताजी कविता| A Poem on Netaji Subhash Chandra Bose
नेताजी
जब-जब अत्याचार बढ़ताहे
इतिहास गवाहे,
तब आताहे कोई मसीहा
वह करताहे खात्मा जालिमोंका।
दे जाताहे शांति और उन्नति
जिसके लिए ऊंचा रहता है सर धरती मां की।
ऐसाही एक आयाथा एक दिन
जब देशवासियोंका चल रहाथा दुर्दिन,
सुभाष चंद्र बोस उसका नामहे
पर, श्रद्धासे सब उसे नेताजी कहताहे,
ऐसे ही उसका कामहे।
बह था वहुत बित्तशाली घरका,
पढ़ाई मेंभी वह किसीसे कम नहींथा
किया था वह आईसीएस पाश
पर, ठुकरा दिया वह आरामकी जिंदगी
क्योंकि, उसके दिलमें था अपना देश।
देश में अंग्रेजका चल रहाथा अत्याचार
वह देश को आजादी दिलाने के लिए करने लगा जुगाड़,
विद्रोह किया, देश छोरी, सेना वाहिनी तैयार किया,
बह सब किया जो उसका क्षमतामें था!
आखिरमें जान भी दिया
पर, कभी बुराईके आगे नहीं झुका!
देश आजाद हुआ
देशवासी खुश हुए,
बहुत साल बीत गया
पर, उनका जैसा ना कोई आया था, ना आया!
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