मात्री भाषा कविता| A Poem on Mother Tongue
मात्री भाषा
इंसान तो बहुत देखा
पर मा जैसा कोई नहीं
भाषा तो बहुत सारा हे
पर हिंदी जैसा एक भी नहीं।
इस भाषा में है जिनेका आस
इसे सुनके, परके और लिखके
दिलमें मिलताहे खुशी।
जिंदगी में आताहे मीठास
क्योंकि, मातृभाषा होताहे बहुत खास।
यह जिंदगी में आताहे सबसे पहले
मा की आंचल की तहरा
हरवक्त देताहे साथ
इसलिए सब केहताहे
हिंदी का कुछ और ही है बात।
तुम मिललो जितने इंसान से
हर कोई अपने नहीं होता
तुम सीखलो जितने भाषा
पर वह नहीं मातृभाषा जैसा।
मातृभाषामें मिलता है बह खुशि
जिसका कोई विकल्प नहीं है
यह है सबसे प्यारा
इसका कोई तोड़ नहीं है।
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