दिलका दर्द कविता| A Pathetic Pain.
दिलका दर्द
दिलतो मान ही नहीं रहा,
मैं क्या करूं!
दिल में तस्वीर छप गया उसका,
मैं क्या करूं!
कोई बताए जरा मुझे,
अब मैं कैसे जियूं!
यह है ख्वाबों की मुलाकात,
इसकी क्या करूं बात,
जितना भी कहो कम पड़ेगा,
जितना भी कहो कम पड़ेगा,
पर यह हर वक्त मेरे साथ रहेगा!
अगर मेरे जिसमें कोई दिल ही नहीं होता,
तो फिर मेरे कोई तकलीफ नहीं होता।
हे खुदा, तूने क्यों मुझे दिल दिया?
अगर तकलीफ ही देना था, तो मुझे क्यों उससे मिलाया।
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