विश्बास के लेकर कविता। A Poem on 'Trust'

 विश्बास


अगर यह नहीं हो

 तो रिश्ता टिकता नहीं,

जीवन चल तो जाएगा 

पर किसी के साथ नहीं,

 रास्ता मिलतो जाएगा 

मगर पास कोई ना होगा,

 ऐसे रिश्ते भी कौन चाहता

जिसमें भरोसा ना होता!

विश्बास के लेकर कविता। A Poem on 'Trust'


जैसे एक हाथ से ताली बजता नहीं 

वैसे विश्वासभी ऐसी चीज है 

जो सच्चे दो इंसानके अलावा बनता नहीं!

 पहले सच्चे इंसान तो बन

 दिल साफ कर

तव, सब तुझपर विश्वास करेगा, कहलाएगा तू इंसान भरोसेमंद!


मगर, सावधान रहना

 दुनिया धोखेदारीसे भड़ाहे,

 आंखें मूंदके किसीपर विश्वास मत करना 

वरना गिरना तुझको खाईमें है

विश्वास करो भरोसेमंदपे। 

भरोसा करो सच्चे इंसानपे,

 इसलिए पहले खुद बनो सच्चे 

फिर, मिलेगा तुम्हें इंसान अच्छे।


परिये अगले कविता (सलाह)

परिये पिछले कविता (उम्र)




Comments

Popular posts from this blog

ফেয়ারওয়েল কবিতা। Farewell - A Poem

ওয়াল ম্যাগাজিন - একটি কবিতা। Wall Magazine - A Poem

Think Big - A Short Story

Self Help - A Poem

नया शुरुआत - एक कविता। New Beginning - A Poem

Reality of Family - A Short Story

Childhood Lost - A Short Story