उम्र- को लेकर एक कविता। A Poem on Age
उम्र
ए रहते कुछ करलो काम
फिरना होपाएगा तुम्हारे नाम!
पर, रहताहे ए कितना दिन?
अरे, जब तक रहताहे जीवन!
जीवन ही उम्र है
रुकना नहीं,
प्रेस करते जाओ, छोड़ना नहीं
सफलताका दूसरा कोई रास्ता नहीं
कठिन प्रयास- सिर्फ यही, सिर्फ यही!
सब कुछमें है पाबंदी
पर, प्रयासमें नहीं
एकदिन सब छूट जातेहे
पर, उम्र नहीं !
यह रहेगा तुम्हारे साथ
जब तक तुझमें है जान,
अगर अच्छेसे इस्तेमाल करो
बनाएगा तुम्हें महान!
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