यादें बाला सायरी। A Sayeri on Memory
भूलना चाहो तो भी बुलाना जाए
ऐसा कुछ बात होता है।
भूलना चाहो तो भी बुलाना जाए
ऐसा कुछ बात होता है।
क्योंकि दिल का एक कोने में वह सब
अपने महल बना कर रहता है।
भूलना चाहो तो भी बुलाना जाए
ऐसा कुछ बात होता है।
भूलना चाहो तो भी बुलाना जाए
ऐसा कुछ बात होता है।
क्योंकि दिल का एक कोने में वह सब
अपने महल बना कर रहता है।
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