नया साल चारों ओर कुछ बदलाव है मानो जैसा कुछ गजबका बात है, बैंड-बाजा, शोर-शराबा पटाका भी फोड़ डाला, खुशीका एक चादर फैला है क्योंकि, नया साल आया है! पाल है यह खुशी से भरा मौज-मस्ती चारों ओर चल रहा, जो शामिल है वह तो खुश हैं, पर जो शामिल नहीं बह ज्यादा खुश है। पर चौकाने वाला बात ए है जो नहीं समझता एसब क्यों वह भी खुश है! हां भाई, सब खुश हैं इस नए साल में कुछ तो बात है! हर दिल में है चाह, है दिल में है विश्वास, अब आएगा बह पल मिलेगा वह खुशी, जो था मेरा ख्वाब, अब बदलेगा मेरा जिंदगी। पढ़िए अगला कविता पढ़िए पिछला कविता (अच्छे दिन)